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पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में तैनात रह चुके हैं अफसर, बनारस के राहुल को 7 माह बाद परिवार से मिलाया
22 Jan 2021 वाराणसी। काशीलाइव (Kashilive.com)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में तैनात रह चुके आईपीएस आशीष तिवारी और मोहम्मद मुश्ताक ने एक ऐसी नेक पहल की है जिसके लिए उन्हें सलाम। यूपी पुलिस के इन दो अधिकारियों ने अपनी सूझबूझ, तकनीक और समर्पण भाव से महज 20 दिन में 100 से अधिक बच्चों को उनके माता-पिता से मिलवाया। वर्षों से अपने बच्चों से बिछड़ने की आग में जल रहे माता पिता के कलेजे को ठंडक मिली जब पुलिस उनकी संतान को लेकर दरवाजे पर पहुंची।
अपर पुलिस महानिदेशक रेलवे, लखनऊ के आदेशानुसार व पुलिस अधीक्षक रेलवे झाँसी/आगरा आशीष तिवारी के निर्देशन व अपर पुलिस अधीक्षक रेलवे आगरा मौ. मुश्ताक के नेतृत्व में जीआरपी अनुभाग आगरा व झाँसी के अन्तर्गत वर्ष 2018,19,20 में गुम हुए बच्चों की बरामदगी हेतु गृह मंत्रालय द्वारा संचालित 'आपरेशन मुस्कान' के तहत दोनों अनुभागों के अन्तर्गत आने वाले गुमशुदा बच्चों की शत्-प्रतिशत बरामदगी करने हेतु एक समर्पित अभियान चलाया गया। इस अभियान के दौरान विगत लगभग 20 दिनों में 100 से अधिक बच्चों को जिसमे विभिन्न जनपद एवं राज्यों से बरामद कर उनके परिवारों से मिलाया।
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इस अभियान को सफल बनाने के लिए सर्वप्रथम दोनों अनुभागों के अन्तर्गत आने वाले समस्त जनपदों एवं जीआरपी के थानों से गुम हुए बच्चों का डाटा संकलन किया गया। डाटा संलकन के पश्चात गुम हुए बच्चों से सम्बन्धित पूर्ण अद्यतन जानकारी सहित एक एल्बम तैयार की गयी,जिसमें कुल 231 बच्चे गुमशुदा पाये गये। इन सभी बच्चों को बरामद करने के लिए एक समर्पित व स्व-प्रेरित टीम व बेहतर रणनीति की आवश्यकता थी। जिसके लिए सबसे पहले एक Standard Operating Procedure तैयार की गयी। इसके पश्चात दोनों अनुभागों से समर्पित एवं जो पुलिस कर्मी सामाजिक कार्यों में रुचि रखने एवं सामाजिक कार्यों के लिए प्रोत्साहित रहने वाले पुलिस कर्मियों का साक्षात्कार के माध्यम से चयन किया गया।
चयन के पश्चात दोनों अनुभागों में कुल चार टीमें गठित की गयीं। इन सभी टीम सदस्यों को बच्चों से सम्बन्धित कानून जैसे बाल अधिकार संरक्षण कानून 2005, जुबेनाइल जस्टिस (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) कानून 2000, बाल मजदूरी( निषेध एवं नियमन) कानून 1986, पोक्सो एक्ट 2012 इत्यादि के बारे में जानकारी देते हुए व्यावहारिक रुप से प्रशिक्षित किया गया साथ ही गुमशुदा बच्चों की तलाश हेतु बनाये गये sop का विस्तृत कार्यशाला आयोजित कर जानकारी दी गयी। जिसके तहत आश्रय स्थल/ बस स्टेण्ड़/ रेलवे स्टेशन/ NGO's/ स्थानीय पुलिस/C-Plan का प्रयोग करके कैसे गुमशुदा बच्चों की पहचान करना तथा उनके घर वालों तक पहुंचाने की सम्पूर्ण प्रक्रिया की जानकारी प्रशिक्षण के माध्यम से दी गयी।
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प्रशिक्षण के उपरान्त प्रथम चरण में उत्तर प्रदेश के जनपद आगरा, मथुरा, हाथरस, एटा, कासगंज, फिरोजाबाद, अलीगढ, मैनपुरी, इटावा, फर्रुखाबाद, बांदा, जालौन, ललितपुर, हमीरपुर, कानपुर, झाँसी, महोबा, चित्रकूट को चिन्हित कर टीमों को आवंटित कर उन्हे रवाना किया गया। इसके पश्चात दूसरे चरण मे भारत के बडे शहरों दिल्ली, फरीदाबाद, पलवल, गुडगाँव, गाजियाबाद, ग्वालियर, भोपाल, इंदौर एवं मुम्बई को चिन्हित किया गया जो अभी जारी है। अभी तक महज 20 दिनों में टीमों द्वारा तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए 100 से अधिक बच्चों को खोज लिया गया। जिनमें एल्बम के 231 बच्चों मे से अभी तक कुल 81 बच्चों के घर पर सम्पर्क स्थापित किया गया तो यह सभी गुमशुदा बच्चे अपने घर आ चुके थे। (इस सूचना को सम्बन्धित जनपदों के डाटा में अपडेट कराया जा रहा है।)
इसके अतिरिक्त टीमों द्वारा रेलवे स्टेशन, बस स्टेण्ड एवं बालगृहों में कई वर्षों से अन्धकार मंँ जीवन जी रहे कुल 22 बच्चे/बच्चियोँ को टीम की कडी मेहनत एवं सर्विलाँस व C-Plan App (जिसमें उत्तर प्रदेश के प्रत्येक गाँव से 10 -10 सम्भ्रान्त व्यक्तियों के फोन नं0 उपलब्ध हैं) की मदद से उनके परिजनों से मिलाया जा चुका है। द्वितीय चरण का कार्य अभी जारी है। इसके अतिरिक्त तृतीय चरण हेतु कोलकाता, चैन्नई एवं गुजरात को चिन्हित किया गया है जो बहुत जल्द शुरु होगा।
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1- मां को नहीं हुआ यकीन, 2 वर्ष बाद वापस आया सचिन:
सचिन दो वर्ष से बालगृह फिरोजाबाद मे रह रहा था। जब हमारी टीम द्वारा बालगृह फिरोजाबाद जाकर सचिन से पूछताछ की गयी तो उसने अपना पता केवल वृन्दावन बताया और कहा कि मेरे मम्मी-पापा वृन्दावन मे किराये पर रहते थे। लेकिन अब मुझे नहीं पता कि वो कहां रहते हैं। हमारी टीम सचिन को साथ लेकर वृन्दावन गयी और जगह-2 कालोनी/ बस्तियों व नजदीकी गाँव में सैकेडों लोगों से की गयी पूछताछ के बाद अन्ततः तीसरे दिन हमारी टीम ने सचिन के परिवार को खोज लिया जो प्रेम मन्दिर के पास सुनरख वृन्दावन में रहते थे, 2 वर्ष से गुमशुदा बच्चे को उसके परिवार से पुनः मिला दिया। सचिन की मां ने अपने बच्चे के मिलने की आश पूर्णतया खो दी थी लेकिन अचानक अपने बेटे को अपनी आंखों के समाने देख कर उसे यकीन नही हो रहा था कि उसका बच्चा वापस आ गया है। वह मां बार-बार अपने सामने खड़े पुलिस का शुक्रिया अदा कर रही थी।
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2- गणेश को याद था केवल अपने गांव ‘चाचली’ का नाम:
गणेश करीब 1.5 वर्ष से राजकीय बाल गृह शिशु केंद्र मथुरा मे रह रहा था। जब हमारी टीम द्वारा बालगृह मथुरा जाकर गणेश से पूछताछ की गयी तो उसे केवल अपने गांव का नाम 'चाचली' याद था। टीम सदस्यों द्वारा गूगल की मदद से उसके स्थानीय थाना व जनपद की जानकारी की गयी। इसके बाद स्थानीय थाना से सम्पर्क कर गणेश के परिजनों के बारे में जानकारी की। जानकारी सत्य पाये जाने पर गणेश को उसके माता पिता के सामने ले जाया गया तो वो माता- पिता अपने बच्चे को 1.5 वर्ष बाद सकुशल वापस देखकर उससे लिपट कर रोने लगे। माता पिता द्वारा टीम को बताया गया कि हमने गणेश के वापस आने की उम्मीद पूरी तरह खो दी थी लेकिन आप लोग हमारे लिए भगवान है, जो आपने हमारा बच्चा हमें वापस कर दिया।
3- अजय (13 वर्ष) 1 वर्ष पूर्व बिछड़ा था अपनों से:
जब हमारी टीम रेलवे स्टेशन मथुरा पर अकेले घूम रहे बच्चों से पूछताछ कर रही थी तब अजय ने अपना पता केवल उदल गुड़ी, असम बताया। टीम द्वारा इंटरनेट की मदद से सम्बन्धित पुलिस थाने की जानकारी हासिल की एवं उनसे सम्पर्क किया। स्थानीय थाने ने टीम को बताया कि यह बच्चा यहीं का निवासी है। टीम द्वारा माता पिता को सूचित कर दिया और बताया कि उनका बच्चा सकुशल मिल गया है।
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4- विशाल (13 वर्ष) को 1 वर्ष बाद परिवार से मिलाया:
विशाल पिछले 1 वर्ष से चैरिटेबल सोसायटी खेडी कलां, फरीदाबाद हरियाणा में रह रहा था। जब हमारी टीम चैरिटेबल सोसायटी हरियाणा पहुंची तो विशाल ने नाम पता पूछने पर केवल अपने गांव का नाम 'गोरागाँव' जिला गुना बताया। हमारी टीम स्थानीय थाने से सम्पर्क कर जानकारी की गई तो ज्ञात हुआ कि उसके पिता का नाम भगवान सिंह है। जब माता पिता को इसकी जानकारी हुई तो वह बहुत खुश हुए।
5- अर्जुन बाथम (10 वर्ष) को लेकर ग्वालियर पहुंची पुलिस:
जब हमारी टीम बच्चों से पूछताछ हेतु मानखुर्द चाइल्ड होम, मुम्बई में बच्चों से बात कर रही थी तो इस बीच अर्जुम बाथम ने अपना पता रामदास कालोनी ग्वालियर (मप्र) बताया। टीम सदस्य अर्जुन बाथम को लेकर ग्वालियर (मप्र) आये और उसकी बतायी गयी बस्ती मे पूछताछ की तो उसके माता पिता को खोज निकाला। जब पुलिस टीम बच्चे को लेकर माता-पिता के सामने पहुंची तो एक वर्ष पूर्व गुम हुए अपने बच्चे को सामने देखकर आश्चर्य चकित हो गये। माता-पिता की खुशी का ठिकाना नही था।
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6- वाराणसी के राहुल सिंह को 7 माह बाद परिवार से मिलाया:
जब हमारी टीम बच्चों से पूछताछ हेतु मानखुर्द चाइल्ड होम, मुम्बई पहुंची तो राहुल ने नाम पता पूछने पर राठी, नई बस्ती, बनारस (उप्र) बताया। टीम सदस्य राहुल को लेकर बनारस, उप्र वापस आये और उसकी बतायी गयी बस्ती मे पूछताछ की तो उसके माता-पिता को खोज कर बच्चा उनके सुपुर्द किया गया। माता-पिता 07 माह पूर्व बिछडे अपने बच्चे को अचानक वापस पाकर बेहद खुश हुए।
7- दो दिन की कड़ी मेहनत के बाद खोजा कान्हा का परिवार:
6 माह पूर्व अपने परिवार से बिछडा कान्हा बालगृह फिरोजाबाद मे रह रहा था। जब हमारी वहां रह रहे बच्चों से पूछताछ कर रही थी तो कान्हा द्वारा अपना पता केवल एत्मादपुर बताया। उसे गली मौहल्ला एवं मम्मी पापा का नाम ज्ञात नहीं था। टीम सदस्य कान्हा को लेकर एत्मादपुर गये एवं अलग-अलग कॉलोनी/मौहल्लों मे पूछताछ की। दो दिन की कड़ी मेहनत के बाद अन्ततः कान्हा के माता-पिता को खोज लिया। जब अचानक मां ने अपने इकलौते पुत्र को पुलिस टीम के साथ आंखों के सामने देखा तो वह अपने बेटे से लिपट कर जोर-जोर से रोने लगी।
8- सर्विलांस ने पहुंचाया सौरभ के पिता के पास:
7 माह पूर्व अपने परिवार से बिछडा सौरभ बालगृह फिरोजाबाद मे रह रहा था। जब हमारी वहाँ रह रहे बच्चों से पूछताछ कर रही थी तो सौरभ को अपने माता-पिता का नाम व पता ज्ञात नहीं था उसने केवल अपना जिला फर्रुखाबाद एवं पिता का फोन नं. बताया। लेकिन जब उस नं. पर बात करने का प्रयास किया गया तो वह नम्बर बन्द था। उसके बाद उस फोन नं. की सर्विलाँस की मदद से डिटेल्स निकाली गयी तो पिता का नाम शिवराम व पता बरहेपुर, बर्रा खेडा अमृतपुर जिला फर्रुखाबाद ज्ञात हुआ। टीम सदस्यों द्वारा माता-पिता को बुलाकर 7 माह पूर्व अपने माता-पिता से बिछड़े बालक को वापस मिला दिया।
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9- माता-पिता को बिना बताये किशन निषाद को पहुंचाया सामने:
जब पुलिस टीम बच्चों से पूछताछ हेतु बाल निकेतन, भोपाल (मप्र) पहुंची तो किशन ने अपने गांव का नाम धौरापार, थाना महदावल, सन्तकबीर नगर (उप्र) बताया। टीम सदस्य किशन को साथ लेकर सन्त कबीर नगर आये और उसके द्वारा बताये गये गांव में पूछताछ कर उसके माता-पिता को खोज लिया गया। जब टीम माता-पिता को बिना बताये उनके समक्ष बच्चे को लेकर पहुंची तो वे सन्न रह गये और बच्चे से लिपट कर रोने लगे।
10- काजल को किया परिवार को सुपुर्द और अपराधी को भेजा जेल:
दिनांक 01.07.2018 को थाना पैलानी जनपद बांदा मे काजल के सम्बन्ध मे मु0अ0स0 79/18 धारा 363/366 भादवि व 08 पोक्सो एक्ट में अपराध पंजीकृत हुआ था, जो हमारी एल्बम मे क्रमांक 30 पर अंकित था। सम्बन्धित थाने के विवेचक व हमारी टीम के संयुक्त प्रयास से दिनांक 06.01.2021 को काजल को बरामद कर सकुशल परिवार के सुपुर्द कर दिया गया एवं अपराधी को जेल भेजा गया।
11- काजल (17 वर्ष) को 5 माह बाद परिजनों से मिलाया:
दिनांक 01.07.2018 को थाना एरच जनपद झाँसी मे काजल के सम्बन्ध मे मु0अ0स0 81/20 धारा 363 भादवि में अपराध पंजीकृत हुआ था जो हमारी एल्बम मे क्रमांक 14 पर फोटो व अन्य सम्बन्धित विवरण सहित अंकित था। सम्बन्धित थाने के विवेचक, सर्विलाँस व हमारी टीम के संयुक्त प्रयास से दिनांक 27.12.2020 को काजल को बरामद कर सकुशल परिवार के सुपुर्द कर दिया गया। काजल के परिवार द्वारा पुलिस टीम का बार-बार धन्यवाद ज्ञाप किया गया।
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12- टीना, ममता, अनीता, निशा और प्रीति को पुनः परिवार से मिलाया:
जब पुलिस टीम पालना बालगृह, अलीगढ में बच्चों से पूछताछ कर रही थी तो पांच बच्चियां मिली, जिनसे उनके घर का नाम- पता/ फोन नम्बर पूछा तो उन्होने अपना पता बदरपुर, दिल्ली बताया। पुलिस टीम पांचों बच्चियों को लेकर बदरपुर, दिल्ली पहुँची तो कई घण्टों की पूछताछ के बाद उनके माता-पिता को खोज लिया। टीम द्वारा पाँचो बच्चियों के उनके माता पिता के सुपुर्द कर दिया गया।
13- प्रियंका (16 वर्ष) को सकुशल पाकर माता-पिता बेहद खुश:
जब हमारी टीम बालगृह फरीदाबाद में रह रहे बच्चों से पूछताछ हेतु जा रही थी तो इसी बीच रेलवे स्टेशन फरीदाबाद पर घूमती हुई एक बच्ची मिली। जब टीम सदस्यों ने उससे अकेली घूमने का कारण पूछा तो वह रोने लगी। उसे मदद का आश्वासन देते हुए चुप कराया। तब उसने अपना नाम प्रियंका बताया। जब उससे उसका पता पूछा गया तो उसने सैक्टर 78 फरीदाबाद बताया और उसने कहा की मै रास्ता भूल गयीं हूं और घर नहीं पहुंच पा रही हूं। टीम सदस्यों द्वारा बच्ची को साथ लेकर सैक्टर 78 में पूछताछ की गयी तो कई घण्टों की मश्क्कत के बाद उसका घर खोज लिया गया। बच्ची को सकुशल वापस पाकर माता-पिता बेहद खुश हुए।
14- सावित्री (17 वर्ष) को 2 माह बाद परिजनों को सुपुर्द:
दिनांक 12.10.2020 को थाना खान्ना जनपद महोबा मे सावित्री के सम्बन्ध मे मु0अ0स0 125/20 धारा 363/366 भादवि में अपराध पंजीकृत हुआ था। सम्बन्धित थाने के विवेचक, सर्विलाँस व हमारी टीम के संयुक्त प्रयास से दिनांक 29.12.2020 को सावित्री को बरामद कर सकुशल परिवार के सुपुर्द कर दिया गया।
इस तरह के जीआरपी पुलिस द्वारा चलाये जा रहे विशेष अभियान के तहत कई सालों से अपने परिवारजन से विछडे बच्चे/बच्चियों को उनके परिजनों से मिलाने का अभियान जारी है। ऐसे टीम के प्रत्येक सदस्य को प्रशस्ति पत्र, नगद पुरुस्कार से 26, जनवरी पर सम्मानित किया जायेगा।
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